Computer Hardware Basics - Memory Unit
कम्प्यूटर हार्डवेयर बेसिक्स - मेमोरी यूनिट
मेमोरी यूनिट - मैमोरी वह यूनिट है , जिसमें डाटा और आदेशो या
प्रोग्रामो को स्टोर किया जाता है इसलिए इसे स्टोरेज यूनिट भी कहा जाता है। यह
ऐसे संसाधनो से बनी होती है,जिनका प्रयोग किसी प्रोग्राम को चलाते समय सूचनाऍं स्टोर
करने के लिए किया जाता है ।
मेमोरी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है -
1. मुख्य मेमोरी (मेन मेमोरी) या प्राथमिक (प्राइमरी) मेमोरी
2. द्वितीयक (सेकेण्डरी मेमोरी)
मुख्य मैमारी(Main Memory)- इसे आन्तरिक मैमोरी भी कहा जाता है इसमे केवल वही डाटा व सूूचनाओ को रखा जाता है जिसमे कम्प्यूटर पर वर्तमान मे कार्य हो रहा है,ये सेमीकण्डेक्टर से मिलकर बनी होती है मुख्य मैमोरी में किसी समय चल रहे प्रेाग्राम तथा उनके इनपुट एवं आउटपुट डेटा
को अस्थायी रूप से कुछ समय के लिए स्टोर किया जाता है । जैसे ही उनकी आवश्यकता
समाप्त हो जाती है उन्हे हटाकर दूसरे डेटा या प्रोग्राम एक जगह रख दिये जाते है
। मुख्य मैमोरी में निम्नलिखित
सूचनाएँ रखी जाती है –प्रोसेस किया जाने चाला समस्त डेटा और उसको प्रोसेस करने के
लिए आवश्यक निर्देश जो इनपुट यूनिट से प्राप्त किए गए होते है । प्रोसेसिंग के
अन्तरिम परिणाम ।
प्रोसेसिंग के अन्तिम
परिणाम , जिन्हे आउटपुट डिवाइस को भेजे जाने तक रखा जाता है ।
मुख्य मैमोरी दो प्रकार की
होती है :-
1.
रैण्डम एक्सेस मैमोरी (रेम) ।
2.
रीड ओनली मैमोरी(रोम) ।
1. रेण्डम एक्सेस मेमोरी (रेम) - रेम एक अस्थाई मेमोरी है जो कि सीपीयू मे चलने वाले प्रोगामो के डाटा व निर्देशो को अस्थाई रूप से सेव करती है यह मैमोरी एक चिप में होती
है,जो मैटल – आॅक्साइट सेमीकण्डक्टर से बनी होती है । इस मैमारी की लोकेशनों को हम आचश्यकता होने पर कभी भी उपयोग में ला
यकते है इसलिए इसका नाम रैण्डम एक्सेस मैमोरी रखा गया है ।
रैम को अस्थाई कहने का आशय यह है कि कम्प्यूटर की बिजली सप्लाई बन्द हो जाने पर इसमे उपस्थित समस्त सूचनाएँ नष्ट हो जाती है ।
2. स्टेटिक रेम (DRAM)- स्टेटिक रेम ऐसी रेम होती है जो पावर सप्लाई होने तक सूचनाओ को स्टोर करके रखती है । डॉयनामिक रेम के विपरीत इसे बार- बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता नही होती । स्टेटिक रेम डाटा को तेजी से एक्सेस करती है तथा सस्ती होती है ।
रैम को अस्थाई कहने का आशय यह है कि कम्प्यूटर की बिजली सप्लाई बन्द हो जाने पर इसमे उपस्थित समस्त सूचनाएँ नष्ट हो जाती है ।
रेम के प्रकार -
1. डायनामिक रेम (DRAM)
2. स्टेटिक रेम (SRAM)
1. डायनामिक रेम (DRAM)- डायनामिक रेम मे जिसमे एक ट्रांंजिस्टर तथा एक केपेसिटर लगा होता है तथा सूचनाऍं 0 या 1 के रूप मे स्टोर रहती है केपेसिटर चूॅंंकि विद्युत चार्ज को लीक करता है अत: इसे बार - बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है ।
2. स्टेटिक रेम (DRAM)- स्टेटिक रेम ऐसी रेम होती है जो पावर सप्लाई होने तक सूचनाओ को स्टोर करके रखती है । डॉयनामिक रेम के विपरीत इसे बार- बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता नही होती । स्टेटिक रेम डाटा को तेजी से एक्सेस करती है तथा सस्ती होती है ।
रीड ओनली मेमोरी - यह वह मैमोरी है जिसमे डेटा पहले से भरा जा चुका होता है , जिसे हम केवल पढ़ सकते है । हम उसे हटा या बदल सकते
, वास्तव में रोम चिप बनाते समय ही उसमे कुछ आवश्यक
प्रोग्राम और डेटा लिख दिए जाते है , जो स्थायी होते है। जब कम्प्यूटर की बिजली बन्द कर दी जाती है तब भी रोम चिप में भरी हुई
सूचनाएँ सुरक्षित बनी रहती है।
ये निम्न प्रकार की होती है -
1. पी रोम (प्रोग्रामेबल रोम )
2. ई पी रोम (इरेजेबल प्रोग्रामेबल रोम )
3. ई ई पी रोम (इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबेल रोम )
4. फ्लैश रोम
द्वितीयक(सेकेण्डरी) मेमोरी - ये मेमोरी नॉन वोलेटाइल (अपरिवर्तनशील ) एवं स्थाई हाेती है तथा कम्प्यूटर प्रोसेसर के द्वारा सीधे इसका प्रयोग नही किया जाता । इसकी सहायता से यूजर अपने डाटा को स्थाई रूप से सेव कर सकता है ।
ये प्राथमिक मेमोरी की तुलना मे धीमी होती है , परन्तु कम्प्यूटर के बंंद हो जाने के बाद भी डाटा को सेव करके रखती है ।
1. चुम्बकीय संंग्रहण्ा (मेग्नेटिक मेमोरी )
2. प्रकाशीय संंग्रहण (ऑप्टीकल मेमोरी )
1. चुम्बकीय संग्रहण (मेग्नेटिक मेमोरी ) - इस प्रकार की मेमोरी मे चुम्बक के गुण का इस्तेमाल कर डाटा को स्टोर किया जाता है । इस प्रकार की सभी डिवाइस मे डाटा स्टोर करने वाली सतह पर मेग्नेटिक ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है ।
इसमे निम्न प्रकार की मेमोरी आती है -
1. मेग्नेटिक ड्रम - इसे प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों मे उपयोग किया जाता है इसमे धातु के ड्रम का उपयोग कर उसकी सतह पर मेग्नेटिक आॅक्साइड की परत चढ़ी होती है इसी सतह पर डाटा को स्टोर किया जाता है ।
2. मेग्नेटिक टेप - मेग्नेटिक टेप मे एक पतली प्लास्टिक रिबन का प्रयोग होता है जिसके केवल एक सिरे पर ही मेग्नेटिक ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है । इसके रिबन की चौड़ाई 4 मिमी से 1 ईंच तक होती है ।
3. मेग्नेटिक डिस्क - मेग्नेटिक डिस्क मे एक धातु या प्लास्टिक की बनी हुई वृत्ताकार डिस्क होती है डिस्क के दोनो ओर डाटा स्टोर किया जाता है । डिस्क कई सारे वृत्तोंं मे विभाजित होती है जिन्हे ट्रेक कहते हैैं तथा ये ट्रेक कई सारे सेक्टर मे विभाजित होते हैैं । उदाहरण - हार्ड डिस्क , फ्लापी डिस्क ।
हार्ड डिस्क - यह कम्प्यूटर मे मुख्य स्टोरेज मेमोरी के रूप मे प्रयूक्त की जाती है , यह 2-4 धातु की डिस्क का उपयोग करती हैै । ज्यादातर समय वह धातु एल्युमीनियम होती है प्रत्येक डिस्क के दोनो सिरो पर डाटा स्टोर किया जाता है सिवाय सबसे ऊपर वाली प्लेट के सबसे ऊपरी सिरे पर एवं सबसे निचली प्लेट के सबसे निचले सिरे पर । सभी डिस्को पर मेग्नेटिक ऑक्साइड की परत चढ़ी होती है । इसे हार्डड्राइव भी कहते हैं।
फ्लापी डिस्क - इसमे प्लास्टिक की एक सिंगल डिस्क होती है पहले इसका प्रयोग डाटा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए किया जाता था इसे उपयोग करने के लिए फ्लापी ड्राइव की आवश्यकता होती है ।
ये दो आकारो मे आती है एक 31/2 इंच जिसकी क्षमता 720 किलो बाइट से 1.44 मेगाबाइट एवंं 2.88 मेगाबाइट एवं दूसरी 5 1/4 इंच जिसकी क्षमता 360 किलो बाइट से 1.2 मेगा बाइट होती है ।
ये निम्न प्रकार की होती है -
1. पी रोम (प्रोग्रामेबल रोम )
2. ई पी रोम (इरेजेबल प्रोग्रामेबल रोम )
3. ई ई पी रोम (इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबेल रोम )
4. फ्लैश रोम
1. प्रोग्रामेबेल रोम[PROM] -यह एक एसी मैमोरी है,
जिसमें एक प्रोग्राम की सहायता से सूचनाओं को स्थायी रूप से स्टोर किया जाता
हैं। साधारण रोम मैमोरी में ट्रांजिस्टर स्विचों को स्थाई रूप से ऑन (1) या ऑफ
(0) स्थितियों में सैट कर दिया जाता है लेकिन पी रोम को इस प्रकार बनाया जाता है
कि इसके सभी स्विचों को ऑन करके छोड़ दिया जाता है।इस मैमोरी में कोई सूचना भरने के लिए एक डिवाइस जिसे पी रोम प्रोग्रामर या बर्नर कहा जाता है जिसके द्वारा ऐसे उच्च वोल्टेज
के पल्स उत्पन्न किए जाते है जिनसे कुछ चुने हुए स्विच नष्ट हो जाते है
अर्थात् वे स्विच 1 से 0 हो जाते हैं। इस प्रकार पी रोम चिप में सूचनाएँ स्टोर कर
दी जाती हैं।
2. इरेज़ेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मैमोरी[EPROM] :- यह एक एसी
पी रोम मैमोरी है, जिसको फिर से प्रोग्राम
किया जा सकता हैं। इसकी सूचनाओं को चिप में ही रखी गई विघुत धारा के द्वारा स्थायी
रखा जाता हैं। किसी ई पी रोम की सूचनाओं को उसके सर्किट से हटाकर और उसमें बनी हुई
एक छोटी सी खिड़की से पराबैंगनी किरणें
डालकर साफ किया जाता हैं। बाद में इसे ई पी रोम बर्नर की सहायता से फिर से
प्रोग्राम किया जा सकता हैं।
3. इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबेल रीड ओनली मैमोरी [EEPROM] :- यह एक ऐसी ई पी रोम मैमोरी है, जिसको फिर से प्रोग्राम
करने के लिए सर्किट से हटाने और निर्माता को भेजने की आवश्यकता नहीं होती । आप
इसको एक विशेष सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम की सहायता से अपने कम्प्यूटर में ही
प्रोग्राम कर सकते हैं। इसमें यह विशेषता भी है कि फिर से प्रोग्राम करने के लिए
इसकी सारी सूचनाओं को नष्ट करने की आवश्यकता नहीं हैं। आप एक बार में इसके एक
बाइट को साफ करके फिर से लिख सकते हैं इसमें प्राय: कम्प्यूटर के कॉन्फिगरेशन से
संबंधित सूचनाएँ रखी जाती हैं।
4. फ्लैश रोम [FLASH] :- यह भी एक प्रकार की ई ई पी राम मैमोरी है लेकिन इसकी सूचनाएँ एक –एक बाइट के हिसाब से नही लिखी जाती , बल्कि एक बार में एक
पूरा ब्लॉक लिखा जाता है । यह साधारण ई ई पी रोम मैमोरी से अधिक तेज होती है ।
इसको कार्य करने के लिए कम वोल्टेज की आवश्यकता होती है ।फ्लैश रोम का उपयोग आजकल पर्सनल कम्प्यूटरो के
बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम को स्टोर करने में किया जाता है । इससे इनको इण्टरनेट
द्वारा अपडेट करना भी सम्भव है । इसके लिए यूजर को निर्माता की वेबसाइट पर जाकर
कुछ सूचनाएँ डाउनलोड करनी होती है और उनके निर्देशो के अनुसार कार्य करना होता है।
ऐसा करने पर कम्प्यूटर नवीनतम विशेषताओं से सम्पन्न हो जाता है। लेकिन इस
कार्य को करने से पहले इसका बैकअप लेना
आवश्यक होता है , ताकि कोई गड़बड़ हो जाने पर पुरानी सूचनाओं को रिस्टोर
किया जा सके । वैसे हर बार नई अपडेट आने पर फ्लैश मैमोरी को प्रोग्राम करना अच्छा नही है । ऐसा तभी करना चाहिए , जब आपको किसी नई विशेषता की वास्तव में आवश्यकता हो ।
ये प्राथमिक मेमोरी की तुलना मे धीमी होती है , परन्तु कम्प्यूटर के बंंद हो जाने के बाद भी डाटा को सेव करके रखती है ।
इसका प्रयोग मुख्यत: वेकअप
डाटा को स्टोर करने एवं सिस्टम
सोफ्टवेयर जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम (Oprerating
system – DOS, Window, Unix), एप्लीकेशन सोफ्टवेयर (
Application Software ) जैसे(MS- Office, Foxpro) आदि को सेव रखने के लिए किया जाता है ।
द्वितीयक मेमोरी को दो प्रकारो मे बॉंटा जा सकता है -1. चुम्बकीय संंग्रहण्ा (मेग्नेटिक मेमोरी )
2. प्रकाशीय संंग्रहण (ऑप्टीकल मेमोरी )
1. चुम्बकीय संग्रहण (मेग्नेटिक मेमोरी ) - इस प्रकार की मेमोरी मे चुम्बक के गुण का इस्तेमाल कर डाटा को स्टोर किया जाता है । इस प्रकार की सभी डिवाइस मे डाटा स्टोर करने वाली सतह पर मेग्नेटिक ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है ।
इसमे निम्न प्रकार की मेमोरी आती है -
1. मेग्नेटिक ड्रम - इसे प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों मे उपयोग किया जाता है इसमे धातु के ड्रम का उपयोग कर उसकी सतह पर मेग्नेटिक आॅक्साइड की परत चढ़ी होती है इसी सतह पर डाटा को स्टोर किया जाता है ।
2. मेग्नेटिक टेप - मेग्नेटिक टेप मे एक पतली प्लास्टिक रिबन का प्रयोग होता है जिसके केवल एक सिरे पर ही मेग्नेटिक ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है । इसके रिबन की चौड़ाई 4 मिमी से 1 ईंच तक होती है ।
हार्ड डिस्क - यह कम्प्यूटर मे मुख्य स्टोरेज मेमोरी के रूप मे प्रयूक्त की जाती है , यह 2-4 धातु की डिस्क का उपयोग करती हैै । ज्यादातर समय वह धातु एल्युमीनियम होती है प्रत्येक डिस्क के दोनो सिरो पर डाटा स्टोर किया जाता है सिवाय सबसे ऊपर वाली प्लेट के सबसे ऊपरी सिरे पर एवं सबसे निचली प्लेट के सबसे निचले सिरे पर । सभी डिस्को पर मेग्नेटिक ऑक्साइड की परत चढ़ी होती है । इसे हार्डड्राइव भी कहते हैं।
फ्लापी डिस्क - इसमे प्लास्टिक की एक सिंगल डिस्क होती है पहले इसका प्रयोग डाटा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए किया जाता था इसे उपयोग करने के लिए फ्लापी ड्राइव की आवश्यकता होती है ।
ये दो आकारो मे आती है एक 31/2 इंच जिसकी क्षमता 720 किलो बाइट से 1.44 मेगाबाइट एवंं 2.88 मेगाबाइट एवं दूसरी 5 1/4 इंच जिसकी क्षमता 360 किलो बाइट से 1.2 मेगा बाइट होती है ।
प्रकाशीय संग्रहण [ऑप्टिकल मेमोरी ]- ऑप्टिकल स्टोरेज डिवाइस मे लेजर के माध्यम से सूचना या डाटा को संग्रहित किया जाता है ये ऐसी डिवाइस होती है जिनमे प्रकाश का प्रयोग कर डाटा को संग्रहित कर सकते हैं तथा प्रकाश की उपस्थिति मे डाटा को पढ़ा जा सकता हैै । उदाहरण्ा के लिए - सीडी , डीव्ाीडी , ब्लू रे डिस्क
1.सीडी - सीडी का पूरा नाम कॉम्पेक्ट डिस्क है तथा सामान्यतौर पर इसका आकार 700 मेगा बाइट होता है ।
यह कई प्रकार से उपलब्ध है जैसे -
राइट वन्स सीडी (CD-R),सीडी - रीराइटेबिल (CD-RW), वीडियो सीडी (CD), सुपर वीडियो सीडी (SVCD), Photo CD, सीडी इन्टरेक्टिव (CD-i) और इन्हेन्सड म्यूजिक सीडी ।
2.डीवीडी - डीवीडी का पूरा नाम डिजिटल वीडियो डिस्क या डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क है इसमे सीडी की तुलना मे अधिक मात्रा मे डाटा स्टोर किया जा सकता है । आमतौर पर उपयोग की जाने वाली डीवीडी सिंगल लेयर सिंगल साइड डीवीडी है जिसका आकार 4.7 जीबी है । सिंगल साइड डबल लेयर डीवीडी का आकार 8.5 या 8.7 जीबी है । डबल लेयर सिंगल साइड डीवीडी का आकार 9.4 जीबी है । डबल लेयर डबल साइड डीवीडी का आकार 17.08 जीबी होता है परन्तु यह बहुत ही कम उपयोग की जाती है ।
सीडी की तरह डीवीडी भी कई प्रकार से उपलब्ध है -
डीवीडी राइट वन्स रिकार्डेवल (DVD-R Media: A write-once, recordable format ),डीवीडी रीराइटेबल (DVD-RW Media: DVD ReWritable ), डीवीडी रिकार्डेबल (DVD+R Media: Short for DVD+Recordable), DVD+RW Media , DVD+R Dual Layer / Double Layer Media एवं DVD-RAM Media भी डीवीडी के उदाहरण है |
नोट - इन दो द्वितीयक प्रकार के मेमोरी डिवाइस के अलावा भी एक अन्य प्रकार भी होता है । जिसे सॉलिड स्टेट या फ्लेेश मेमोरी भी कहते हैं । ये उस प्रकार की मेमोरी है जिन्हे डाटा सुरक्षित रखने के लिए बार- बार पाॅवर की आवश्यकता नही होती है । ये जब कम्प्यूटर मे लगाई जाती है तो कम्पयूटर के माध्यम से ही पाॅवर ग्रहण करते हैं । उदाहरण के लिए - यूएसबी पेन ड्राइव व कार्डरीडर इसके उदाहरण है ।
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