BIOS Settings
बायोस ( बेसिक इनपुट आउटपुट सेटिंग्स ) - यह एक साॅफ्टवेयर है जो कि रोम मे उपस्थित होता है । बायोस ही कम्प्यूटर मे आॅपरेटिंग सिस्टम लोड करने के लिए जिम्मेदार होता है ।
किसी सिस्टम का बायोस उसके बेसिक कार्यो के लिए जिम्मेदार होता है जैसे कि सिस्टम की टाइम व डेट , सिस्टम का बूट आर्डर अथवा प्रोससर और मेमोरी की गति । इसके द्वारा यह भी तय किया जाता है कि सिस्टम के कुछ फीचर्स जैसे यूएसबी पोर्ट , ऑन बोर्ड आडियो इनेबिल या डिसेबिल है ।
बायोस सेटिंग्स - 1. बायोस सेटिंग्स खोलने के लिए जब हम कम्प्यूटर का पॉवर बटन दबाकर उसे स्टार्ट करते हैं तथा हमे एक इमेज (कम्प्यूटर निर्माणकर्ता का लोगो ) दिखाई दे उसी समय बायोस खोलने के लिए निर्धारित बटन को दबाकर हम बायोस को खोल सकते हैैं । सामान्यत: F2,F8,F10, F11 ,F12 ,Del का प्रयोग बायोस खोलने के लिए होता है। यह बटन हमे इमेज दिखने के समय मे प्रदर्शित भी की जाती है ।
2. प्रत्येक कम्प्यूटर निर्माणकर्ता के कम्प्यूटर मे बायोस सेटिंग्स के लिए अलग अलग लेआउट प्रदान किया जाता है परन्तु विभिन्न कॉमन सेटिंग्स लगभग सभी कम्प्यूटर मे उपलब्ध होती है । उन कॉमन सेटिंग्स मे डेट और टाइम सेटिंग्स , बूट आर्डर और अन्य महत्वपूर्ण सेटिंग्स शामिल है । पुरानी बायोस सेटिंग्स की विंडो और मीनू मे माउस इनपुट सपोर्ट नही करता है अर्थात हमे कीबोर्ड की सहायता से ही वह विंडो चलाना होती है । लगभग सभी बायोस मे एरो की की मदद से विभिन्न मीनू तक जाया जा सकता है ।
3. जब हम बायोस सेटिंग्स मे बदलाव करते हैं तब हमे उनको सावधानीपूर्वक उनमे बदलाव करना चाहिए क्योंकि यदि हमने उन सेटिंग्स मे कुुछ गलत बदलाव कर दिए तब उन बदलावो के कारण सिस्टम सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर फेलियर हो सकती है ।
कुछ महत्वपूर्ण सेटिंग्स जिनमे कई बार बदलाव किया जाता है -
1. बूट आर्डर बदलना - यदि हम यह चुनाव करना चाहते है कि हमे किस डिवाइस की मदद से बूट आर्डर बदलना है तब हम उसका चुनाव बूट मीनू की मदद से कर सकते हैंं । इस बूट आर्डर की सहायता से प्राथमिकता तय की जाती है कि सर्वप्रथम किस डिवाइस की सहायता से सिस्टम को बूट करने का प्रयास करना है ।
2. बायोस पासवर्ड डालना - इस विकल्प की सहायता से हम बायोस मे पासवर्ड डाल सकते हैं जिससे सिस्टम को केवल तभी बूट किया जा सके , जबकि सही पासवर्ड सिस्टम मे डाला जाए ।
3. सिस्टम मे तारीख व समय डालना अथवा परिवर्तित करना - बायोस की सहायता से सिस्टम मे तारीख व समय मे बदलाव किया जा सकता है यदि हम बैटरी मे बदलाव करते हैं तो सिस्टम की क्लॉक रीसेट हो जाती है ।
किसी सिस्टम का बायोस उसके बेसिक कार्यो के लिए जिम्मेदार होता है जैसे कि सिस्टम की टाइम व डेट , सिस्टम का बूट आर्डर अथवा प्रोससर और मेमोरी की गति । इसके द्वारा यह भी तय किया जाता है कि सिस्टम के कुछ फीचर्स जैसे यूएसबी पोर्ट , ऑन बोर्ड आडियो इनेबिल या डिसेबिल है ।
बायोस सेटिंग्स - 1. बायोस सेटिंग्स खोलने के लिए जब हम कम्प्यूटर का पॉवर बटन दबाकर उसे स्टार्ट करते हैं तथा हमे एक इमेज (कम्प्यूटर निर्माणकर्ता का लोगो ) दिखाई दे उसी समय बायोस खोलने के लिए निर्धारित बटन को दबाकर हम बायोस को खोल सकते हैैं । सामान्यत: F2,F8,F10, F11 ,F12 ,Del का प्रयोग बायोस खोलने के लिए होता है। यह बटन हमे इमेज दिखने के समय मे प्रदर्शित भी की जाती है ।
2. प्रत्येक कम्प्यूटर निर्माणकर्ता के कम्प्यूटर मे बायोस सेटिंग्स के लिए अलग अलग लेआउट प्रदान किया जाता है परन्तु विभिन्न कॉमन सेटिंग्स लगभग सभी कम्प्यूटर मे उपलब्ध होती है । उन कॉमन सेटिंग्स मे डेट और टाइम सेटिंग्स , बूट आर्डर और अन्य महत्वपूर्ण सेटिंग्स शामिल है । पुरानी बायोस सेटिंग्स की विंडो और मीनू मे माउस इनपुट सपोर्ट नही करता है अर्थात हमे कीबोर्ड की सहायता से ही वह विंडो चलाना होती है । लगभग सभी बायोस मे एरो की की मदद से विभिन्न मीनू तक जाया जा सकता है ।
3. जब हम बायोस सेटिंग्स मे बदलाव करते हैं तब हमे उनको सावधानीपूर्वक उनमे बदलाव करना चाहिए क्योंकि यदि हमने उन सेटिंग्स मे कुुछ गलत बदलाव कर दिए तब उन बदलावो के कारण सिस्टम सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर फेलियर हो सकती है ।
कुछ महत्वपूर्ण सेटिंग्स जिनमे कई बार बदलाव किया जाता है -
1. बूट आर्डर बदलना - यदि हम यह चुनाव करना चाहते है कि हमे किस डिवाइस की मदद से बूट आर्डर बदलना है तब हम उसका चुनाव बूट मीनू की मदद से कर सकते हैंं । इस बूट आर्डर की सहायता से प्राथमिकता तय की जाती है कि सर्वप्रथम किस डिवाइस की सहायता से सिस्टम को बूट करने का प्रयास करना है ।
2. बायोस पासवर्ड डालना - इस विकल्प की सहायता से हम बायोस मे पासवर्ड डाल सकते हैं जिससे सिस्टम को केवल तभी बूट किया जा सके , जबकि सही पासवर्ड सिस्टम मे डाला जाए ।
3. सिस्टम मे तारीख व समय डालना अथवा परिवर्तित करना - बायोस की सहायता से सिस्टम मे तारीख व समय मे बदलाव किया जा सकता है यदि हम बैटरी मे बदलाव करते हैं तो सिस्टम की क्लॉक रीसेट हो जाती है ।
4. सीपीयू के फेन की गति एवंं सिस्टम वोल्टेज बदलना - इस मीनू की सहायता से हम सीपीयू को ओवर क्लाॅक कर सकते हैं यह विकल्प तकनीकी जानकार यूजर्स के लिए है एवं सामान्य यूजरो को इसके उपयोग से बचना चाहिए ।
4. सेव और एक्जिट (बंद करना )- सीपीयू से संबंधित सारी सेटिंग्स को लगाने के बाद उनको वास्तव मे सुरक्षित रखने के लिए सेव एंड एक्जिट ऑप्शन या F10 का प्रयोग करते हैं ।
नोट -
क्लाॅक स्पीड यह निर्धारित करती है कि सीपीयू एक सेकेंड मे कितने निर्देश को क्रियान्वित करेगा ।
सीपीयू ओवरक्लॉकिंग - ओवर क्लॉकिंग का अर्थ माइक्रो प्रोसेसर को उसकी क्लॉक स्पीड से तेज चलाना है यह एक लोकप्रिय तकनीक है जिससे सिस्टम की कार्य करने की गति थोड़ी बढ़ाई जा सकती है ।
नोट -
क्लाॅक स्पीड यह निर्धारित करती है कि सीपीयू एक सेकेंड मे कितने निर्देश को क्रियान्वित करेगा ।
सीपीयू ओवरक्लॉकिंग - ओवर क्लॉकिंग का अर्थ माइक्रो प्रोसेसर को उसकी क्लॉक स्पीड से तेज चलाना है यह एक लोकप्रिय तकनीक है जिससे सिस्टम की कार्य करने की गति थोड़ी बढ़ाई जा सकती है ।
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